अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
शहर वासियों को एक और नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा
- गुलाब बाग स्थित अर्बन पीएचसी ने आयोजित किया कैंप
- 70 मरीजों को परामर्श व दवा, घर के नजदीक मिला इलाज
बांदा। शहर वासियों को उनके घर के पास ही निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की मुहिम जारी है। इसीक्रम में शहर में एक और नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की संचालित किया गया है। अब शहर में तीन स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराई जा रही है। इसीक्रम में नव संचालित नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुलाब बाग द्वारा कांशीराम कालोनी निम्नीपार में आउटरीच हेल्थ कैंप आयोजित हुआ। इसमें 70 रोगियों की जांच के बाद उन्हें दवा दी गई। शिविर में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी किया गया।
शिविर की शुरुआत करते हुए मंडलीय समन्वयक शहरी स्वास्थ्य डीपी सिंह ने कहा कि शहर में आजाद नगर व छाबी तालाब में स्वास्थ्य केंद्र संचालित थे। स्वास्थ्य को लेकर संजीदा प्रदेश सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद शहर के गुलाब बाग में एक और नगरीय स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मलिन बस्तियों में ऐसे स्वास्थ्य शिविर लगने से लोगों की सेहत सुधरेगी। चिकित्सक डा. श्रुति सक्सेना ने कहा कि भीषण गर्मी व हीट वेव के कारण डायरिया सहित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने मरीजों की जांच कर उनका उपचार किया। साथ ही कोविड सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए अपने सुझाव दिए।
शहरी स्वास्थ्य समन्वयक प्रेमचंद्र पाल ने कहा कि यहां से दोनों नगरीय स्वास्थ्य केंद्र दूर होने की वजह से लोग नहीं पहुंच जा रहे थे। इसलिए गुलाब बाग में शहरी स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया गया है। इससे गुलाब बाग, खाईपार, मर्दननाका, हरदौल तलैया, ऊंट मोहाल, अलींगज, कुशवाहा नगर इत्यादि मोहल्लों के लोग आसानी से स्वास्थ्य सेवा का लाभ ले सकेंगे। आयोजित आउटरीच कैंप में टीबी, डायबिटीज, हाईपरटेंशन, मानसिक रोग, स्वांस रोग, कैंसर की स्क्रीनिंग, निराश्रित वृद्ध लोग एवं अन्य महामारी/बीमारियों का चिन्हिकरण किया जाता है।
इस क्षेत्र में हर माह आउटरीच कैंप लगेंगे। शिविर में 70 लोगों का इलाज हुआ। इसमें पेट की समस्या, एलर्जी, बुखार, बदन दर्द, खांसी, जुकाम आदि के मरीज रहे। गर्भवती महिलाओं, ब्लड, शुगर व बीपी इत्यादि की जांच की गई। इस मौके पर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की कुलसुम हाशमी, लैब टेक्नीशियन रितेश कुमार, एएनएम ऊषा सिंह, आशा कार्यकर्ता मदीना, स्वास्थ्य कर्मी विनीत कुमार इत्यादि शामिल रहे।
छात्रनेता की मृत्यु पर आंखें हुईं नम, श्रद्धांजलि सभा आयोजित
- 1986-87 में अतर्रा कालेज के छात्रसंघ के चर्चित महामंत्री रहे
अतर्रा/बांदा। पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के महामंत्री रहे प्रेमेन्द्र पाण्डेय (प्रेमू) की मृत्यु के बाद जहां नगर में चारों ओर शोक है और आंखें नम हैं।वही छात्र नेताओं, समाजसेवियों व नगर के लोगों ने अतर्रा कालेज में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 1986-87 में अतर्रा छात्रसंघ के चुनावों में प्रेमू पाण्डेय निर्वाचित हुए थे।वह बम्बई में रहकर व्यापार करते थे और वहीं हृदयाघात से उनका निधन हो गया। अचानक हुई मौत से मातम पसर गया। हर दिल अजीज शख्सियत के साथ-साथ वह युवाओं में बहुत लोकप्रिय थे। उनके निधन पर अतर्रा कालेज में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उनके ऐतिहासिक कालखंड को याद किया गया।
छात्रनेताओं ने कहा कि वह छात्रसंघ का स्वर्णिम युग था। छात्रशक्ति-राष्ट्रशक्ति के नारे को प्रेमेन्द्र पाण्डेय (प्रेमू) चरितार्थ करते थे। श्रद्धांजलि देने वालों में छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष श्रवण तिवारी, विचित्र पांडे, विवेक बिंदु तिवारी,संजय साहू,अर्जुन मिश्र(मुन्ना), छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री रमेश तिवारी, सुधाकर पांडे, राकेश गौतम, राजेंद्र बाबू गर्ग, भाजपा नेता डा.रमेश शर्मा, अरुण गौतम, राम नरेश यादव सहित कई अन्य छात्र भी मौजूद रहे।
गोवंशों के लिए दान किया भूसा
बांदा। जिलाधिकारी अनुराग पटेल के द्वारा गौशालाआें के संरक्षित गोवंशों के लिए लोगों से की गई भूसादान की अपील का असर अब जनप में दिखने लगा है। लगातार लोग बेजुबान गोवंशों के लिए भूसा दान कर रहे हैं। इसी क्रम में ग्राम पंचायत चंदवारा में किसान रामसेवक सिंह चौहान के द्वारा 50 कुंटल भूसे का दान गोवंशों के लिए किया गया।
नेशनल योगा ओलम्पियाड में खुशी शुक्ला ने प्राप्त किया तृतीय स्थान
अतर्रा/बांदा। नेशनल योगा ओलम्पियाड की जनपद स्तरीय प्रतियोगिता में ब्रह्म विज्ञान इंटर कालेज की खुशी शुक्ला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। तहसील स्तर में खुशी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। जिला स्तर की प्रतियोगिता डीएवी इण्टर कालेज बांदा में हुई जिसमें बालिका वर्ग में खुशी के स्थान प्राप्त करने पर विद्यालय के प्रधानाचार्य शिवदत्त त्रिपाठी ने पुरस्कृत किया, तथा शुभकामनाएं दी, साथ ही विद्यालय में सिंगल यूज प्लास्टिक पर निबंध प्रतियोगिता में अनल सिंह प्रथम, प्रशांत कुमार द्वितीय तथा प्रिंस ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
सभी शिक्षकों एवम् प्रधानाचार्य ने शुभकामनाएं दी तथा उज्जवल भविष्य की कामना की, चेतराम, राजेन्द्र कुमार ने परीक्षा संचालन की कालीचरण बाजपेयी अरुण कुमार, शान्ति भूषण यादव निर्णायक भूमिका में रहे सुरेन्द्र शर्मा, बीरेंद्र दीक्षित, सुशील कुमार गर्ग, गिरिजेश मिश्र, सोमनाथ, कमलेश कुमार राजेश कुमार ने सहयोग किया, प्रधानाचार्य ने बताया कि इस प्लास्टिक के प्रयोग से हमें बचना चाहिए यह जानलेवा है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) पर विशेष : मासूम बच्चे को घर पर अकेला छोड़कर निभाई ड्यूटी
- मरीजों के भोजन को वेतन से दिए 40 हजार रूपए
- मरीज के मन से बीमारी का डर दूर करती हैं पूनम
बांदा। कोरोना संक्रमण काल में नर्स का सराहनीय योगदान किसी से छिपा नहीं है। जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं। अपने घरों से दूर, परिवार से दूर रहकर ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं। बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। इस दिन इनकी सेवा को याद करना जरूरी है, क्योंकि बिना नर्सिंग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना मुमकिन नहीं है।
चित्रकूटधाम मंडल के इकलौते मेडिकल कालेज में स्टाफ नर्स के पद पर तैनात स्टाफ नर्स पूनम गुप्ता वर्ष 2018 से यहां ड्यूटी कर रही हैं। शहर के तिंदवारी रोड में खुद का मकान होने के बाद भी वह परिवार से दूर अपने चार वर्षीय बेटे को साथ लेकर कालेज कैंपस में रहकर ड्यूटी निभा रही हैं। पूनम बताती हैं कि कोरोना की पहली लहर में उनका बेटा दो साल का था। मासूम बेटे को 10 वर्षीय ननद के साथ छोड़कर ड्यूटी को निभाया। संक्रमित मरीजों के मन से कोरोना का डर निकालने के लिए उन्हें प्रेरित करती रहीं।
पूनम ने बताया कि मरीजों के खाने के लिए कालेज में मेस चलता है। यहां मरीजों को निःशुल्क पौष्टिक आहार दिया जाता है। कोरोना काल में सभी कार्यालय व काम बंद होने की वजह से मरीजों के भोजन के लिए पैसा नहीं आया। संकट के इस दौर में उन्होंने अपनी सैलरी से 40 हजार रूपए कालेज को मरीजों के भोजन के लिए दान किए। पूनम के पति दिलीप कुमार गुप्ता ग्राम विकास अधिकारी हैं। मौजूदा समय में बबेरू में तैनात हैं।
कालेज प्राचार्य डा. मुकेश कुमार यादव ने बताया कि स्टाफ नर्स पूनम अपनी ड्यूटी को लेकर बहुत ही जिम्मेदार हैं। मरीजों के साथ आए तीमारदारों को भी स्वयं व घर पर साफ सफाई से रहने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। संक्रमण काल में इनका योगदान सराहनीय है।
मास्क को लेकर कई बार तीमारदारों से हुई झड़प
पूूनम बताती हैं कि संक्रमण की दूसरी व तीसरी लहर में लोग बेखौफ हो गए। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा। अस्पताल परिवार में मरीज व तीमारदार बिना मास्क के दिखाई देने लगे। उन्होंने मास्क लगाने के लिए कहा तो उनसे लड़ने में अमादा हो जाते थे। इसके बाद भी वह सख्ती के साथ मास्क लगाने पर जोर देती रहीं। उन्होंने बिन मास्क के अपने वार्ड में मरीजों व तीमारदारों के प्रवेश पर ही रोक लगा दी। नतीजे में लोग मास्क लगाकर ही वार्ड में प्रवेश करने लगे।
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